Tuesday, 24 May 2011

History Behind Hanumaan Chalisa [In Hindi + MP3]

Lord Hanumaan Chanting Lord Ram Mantra (हनुमान जी प्रभु श्री राम का कीर्तन करते हुए)

History Behind Hanumaan Chalisa
Hanumaan Chalisa is hymn (स्तोत्र, स्तुतिगीत) which was written by Goswami Tulsidas Ji (Go-Svaamee Tul-see-daas; गोस्वामी तुलसीदास जी) in the sixteenth century.

Tulsidas Ji was great poet, philosopher and above all devotee of Lord Ram (भगवान् श्री राम) and he wrote extremely powerful hymn (चालीसा) about Lord Hanuman (हनुमान जी) which was later spiritually enpowered by Lord Shiv (भगवान् शिव). Now whosoever recite or go through Hanumaan Chalisa (हनुमान चालीसा) his all worries are removed by Lord Hanumaan Ji (हनुमान जी).

It's not necessary that you understand it's meaning the most important is, you go through it or recite it piously with good feelings (श्रधा पूर्वक - शुद्ध हृदय से) and believe me this really works.


Note 1: Do remember, reciting or going through Hanumaan Chalisa (हनुमान चालीसा) ONCE piously with good feelings (श्रधा पूर्वक - शुद्ध हृदय से) is more important than reciting or going through number of times. There is no doubt that reciting or going through more, will benefit you more but the most important point is Lord Hanumaan (भगवान् हनुमान जी) looks at the feeling (भाव - आप किस भाव से जप करते है). If you worship with deep faith (श्रधापुर्वाक), with love by keeping affection in your heart (प्रेमपूर्वक) then trust me Lord Hanumaan (हनुमान जी) will become happy from you and will take you out from all the problems.

Note 2: It's my personal suggestion and it's very powerful that before reciting or going through Hanumaan Chalisa (हनुमान चालीसा), always chant once or more जय श्री राम (Jai Shri Ram). Lord Hanumaan is the disciple of Lord Ram (भगवान् श्री राम) and he becomes very happy whenever someone chants Lord Shri Ram's name or mantra in front of him. So whenever we worship Lord Hanumaan (हनुमान जी) whether we are in temple or at home OR worshiping in front of Lord Hanumaan's (हनुमान जी) Picture, this technique really works.

1. Listen To Hanumaan Chalisa



2. Download:- Hanumaan Chalisa (Shri Hanumaan Chalisha MP3 Format)


3. Below is Hanumaan Chalisa in Hindi and English as well :-

गोस्वामी तुलसीदास कृत
श्री हनुमान चालीसा

 ॥राम॥
।।श्री हनुमते नमः।।


दोहा

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौ पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेस बिकार।।

चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुँ लोक उजागर।।
राम दूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महावीर विक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन वरन विराज सुवेसा । कानन कुंडल कुंचित केसा।।

हाथ वज्र और ध्वजा विराजे । काँधे मूँज जनेऊ साजै ।।
  शंकर सुवन केसरीनंदन । तेज प्रताप महा जग वंदन ।।
बिद्यावान
गुणि
अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।।

सूक्ष्म रुप धरि सियहि दिखावा। विकट रुप धरि लंक जरावा।।
भीम रुप धरि असुर सँहारे। रामचन्द्र के काज सँवारे।।
लाय संजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बडाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते। कबि कोविद कहि सके कहाँ ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा।।

तुम्हरो मंत्र विभीषण माना। लंकेश्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही। जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।

राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रच्छक काहु को डरना।।
आपन तेज सम्हारो आपै। तीनो लोक हाँक ते काँपै।।
भूत पिशाच निकट नहि आवै। महावीर जब नाम सुनावै।।

नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुडावैं। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा। तिन के काज सकल तुम साजा।।
और मनोरथ जो कोई लावै। सोइ अमित जीवन फल पावै।।

चारो जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु संत के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे।।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस वर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा।।

तुम्हरे भजन राम को पावै। जनम जनम के दुख बिसरावै।।
अंत काल रघुवर पुर जाई। जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेइ सर्व सुख करई।।
संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।

 जय जय जय हनुमान गोसाई। कृपा करो गुरुदेव की नाई।।
जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बंदि महासुख होई।।
जो यह पढै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महँ डेरा।।

दोहा

पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रुप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

।।इति ।।

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